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Rāga darabārī

Śrīlāla Śukla, Jayamālā Daṇāyata

393 Pages
2010

Rāga darabārī

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Rāga darabārī - Summary

राग दरबारी एक व्यंग्यात्मक उपन्यास है जो शिवपालगंज नामक एक गाँव की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहाँ भ्रष्टाचार, पाखंड और अवसरवादिता का बोलबाला है। यह कहानी सत्ता के लालची और स्वार्थी लोगों की गतिविधियों को दर्शाती है।

Key Ideas

1

राजनीतिक भ्रष्टाचार

उपन्यास में राजनीति की दुनिया में व्याप्त भ्रष्टाचार को दिखाया गया है, जहां नेता और अधिकारी सत्ता का दुरुपयोग करते हैं और सरकारी योजनाओं का पैसा हड़प लेते हैं।

2

सामाजिक पाखंड

धर्म, शिक्षा और संस्कृति के नाम पर लोगों द्वारा किए जाने वाले पाखंड पर व्यंग्य, जिसमें जातिगत भेदभाव और महिलाओं के प्रति भेदभाव शामिल है।

3

व्यक्तिगत स्वार्थ

कहानी के पात्रों में व्याप्त व्यक्तिगत स्वार्थ का चित्रण, जहां रिश्तेदार, मित्र और प्रेमी भी स्वार्थ के आगे झुक जाते हैं।

FAQ's

इस उपन्यास का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज और राजनीति में व्याप्त बुराइयों को उजागर करना और लोगों को जागरूक करना है।

यह उपन्यास किसी एक राजनीतिक विचारधारा का प्रचार नहीं करता, बल्कि सभी तरह की राजनीतिक कुरीतियों पर व्यंग्य करता है।

राग दरबारी आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना यह अपने प्रकाशन के समय था। भ्रष्टाचार, पाखंड और स्वार्थ जैसी बुराइयाँ आज भी हमारे समाज में व्याप्त हैं।

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