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Munshi Premchand
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Gaban - Summary
मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास 'गबन' एक सामाजिक परिवेश को दर्शाने वाला श्रेष्ठ उपन्यास है। यह कहानी रामनाथ नाम के एक युवक की है, जो नैतिक रूप से कभी स्थिर नहीं रह पाता और जीवन के सभी निर्णयों में कमजोर साबित होता है। उसकी सुंदर पत्नी जालपा की आभूषणों की चाह को पूरा करने के लिए, रामनाथ के व्यक्तिगत और आर्थिक दोनों पक्ष बिगड़ने लगते हैं और वह मुसीबतों में फंसता चला जाता है।
प्रमुख विषय
मध्यवर्गीय समाज की दुर्बलताएँ
प्रेमचंद ने मध्यवर्गीय समाज की कमजोरियों को उजागर किया है, जो क्षणभंगुर दिखावट के लिए बहुत से स्वांग भरता है। यह समाज अपनी वास्तविकता को छुपाने के लिए झूठ, फरेब और हेरा-फेरी का सहारा लेता है, जिससे उसकी नैतिकता पर सवाल उठते हैं।
नैतिकता और आत्मसंघर्ष
रामनाथ का चरित्र नैतिकता और आत्मसंघर्ष का प्रतीक है। उसकी कमजोर नैतिकता और निर्णय लेने की क्षमता उसे लगातार मुसीबतों में डालती है। यह विषय पाठकों को आत्मनिरीक्षण करने और अपने नैतिक मूल्यों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
पारिवारिक जीवन और आभूषणप्रियता
उपन्यास में पारिवारिक जीवन का मनोवैज्ञानिक चित्रण किया गया है, जिसमें नारी की आभूषणप्रियता और पुरुष का आत्मदर्शन प्रमुखता से उभरता है। जालपा की आभूषणों की चाह और रामनाथ की उसे पूरा करने की कोशिशें उनके जीवन में उथल-पुथल मचाती हैं, जिससे पारिवारिक संबंधों की जटिलता सामने आती है।
FAQ's
'गबन' उपन्यास का मुख्य संदेश समाज की नैतिकता, मध्यवर्गीय समाज की कमजोरियों और पारिवारिक जीवन की जटिलताओं को उजागर करना है। यह उपन्यास पाठकों को आत्मनिरीक्षण करने और अपने नैतिक मूल्यों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
रामनाथ का चरित्र नैतिकता और आत्मसंघर्ष का प्रतीक है, जबकि जालपा की आभूषणप्रियता उनके पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल मचाती है। रामनाथ की कमजोर नैतिकता और निर्णय लेने की क्षमता उसे लगातार मुसीबतों में डालती है, जबकि जालपा की आभूषणों की चाह उनके जीवन में जटिलताएँ पैदा करती है।
प्रेमचंद ने 'गबन' में समाज की कई समस्याओं को उजागर किया है, जैसे चोरी, रिश्वतखोरी, झूठ, फरेब, हेरा-फेरी, विधवाओं की दुर्दशा और गबन। यह उपन्यास समाज के मध्यवर्ग का सजीव दर्पण प्रस्तुत करता है, जो क्षणभंगुर दिखावट के लिए बहुत से स्वांग भरता है।
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